नेशनल वॉर मेमोरियल राष्ट्र को समर्पित,40 एकड़ में फैले मेमोरियल में दीवारों पर लिखे हैं 29,942 शहीदों के नाम

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40 एकड़ में फैले इस मेमोरियल के निर्माण पर करीब 180 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।यहां स्मारकों के साथ संग्रहालय भी बनाया गया है। दोनों के बीच एक सब-वे भी रखा है। इसके अलावा नेशनल वॉर मेमोरियल में दीवारों पर 29,942 शहीदों के नाम भी लिखे गए हैं।

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज(25 फरवरी) इंडिया गेट पर बने देश के पहले नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन कर इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया। 40 एकड़ में फैले इस मेमोरियल के निर्माण पर करीब 180 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।यहां स्मारकों के साथ संग्रहालय भी बनाया गया है। दोनों के बीच एक सब-वे भी रखा है। इसके अलावा नेशनल वॉर मेमोरियल में दीवारों पर 29,942 शहीदों के नाम भी लिखे गए हैं।

उद्घाटन के बाद पीएम ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा आज हमारी सेना दुनिया के सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक है हर ईंट पर एक शहीद का नाम लिखा है ‘आप सभी भूतपूर्व नहीं अभूतपूर्व हैं’, क्योंकि आज लाखों सैनिकों के शौर्य और समर्पण के कारण हमारी सेना सबसे बड़ी सेना में से एक है हमारे देश पर चाहे संकट दुश्मनों के कारण आया हो या प्राकृतिक कारणों से, सेना ने अपने ऊपर सबसे पहले प्रहार लिया जब लता दीदी ने ऐ मेरे वतन के लोगों गाया तो पूरे देश की आंखें नम हो गईं। आज बॉर्डर पर डटे हर वीर और वीरांगना को नमन करता हूं भारत अगर आज मजबूती से बढ़ रहा है तो वह आपकी वजह से है इस स्मारक में हजारों सैनिकों के नाम अंकित हैं। राष्ट्रीय वॉर मेमोरियल की मांग कई दशकों से हो रही थी लेकिन कुछ ठोस नहीं हो पाया। हमारी सरकार ने समय से पहले इस वॉर मेमोरियल को बना दिया।

जानते हैं स्मारक की खास बातें 

प्रथम विश्व युद्ध और अफगान अभियान में करीब 84,000 सैनिक शहीद हुए थे। उनकी याद में अंग्रेजों ने इंडिया गेट बनवाया। बाद में 1971 में अमर जवान ज्योति का निर्माण हुआ। अमर जवान ज्योति 1971 के भारत-पाक युद्ध में बांग्लादेश की आजादी में शहीद हुए 3,843 सैनिकों को समर्पित है। ये दोनों स्मारक कुछ खास अवधि के शहीदों को समर्पित है।

आजादी के बाद भी कई युद्धों और अभियानों में सैनिकों ने त्याग और बलिदान की मिसाल कायम की है। उनकी कुर्बानी को याद करने और सम्मान देने के लिए एक राष्ट्रीय स्मारक की जरूरत महसूस की गई। इसको बनाने की मांग तो करीब 60 पहले उठी थी। लेकिन इसे अंतिम मंजूरी साल 2015 में मोदी सरकार ने दी।

नैशनल वॉर मेमोरियल में चार चक्र बनाए गए हैं नैशनल वॉर मेमोरियल में

  • सबसे अंदर का चक्र अमर चक्र है जिसमें 15.5 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है जिसमें अमर ज्योति जलेगी। यह ज्योति शहीद सैनिकों की आत्मा की अमरता का प्रतीक है साथ ही एक आश्वासन कि राष्ट्र अपने सैनिकों के बलिदान को कभी नहीं भुलाएगा।
  • दूसरा है वीरता चक्र, जिसमें थलसेना, वायुसेना और नौसेना द्वारा लड़ी गई छह अहम लड़ाइयों को बताया गया है।
  • तीसरा त्याग च्रक है जिसमें 25700 सैनिकों के नाम हैं, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी। ये नाम 1.5 मीटर की दीवार पर लिखे हैं।
  • सुरक्षा चक्र में 695 पेड़ हैं जो देश की रक्षा में तैनात जवानों को दर्शाते हैं।

पब्लिक के लिए हर दिन खुलेगा

नैशनल वॉर मेमोरियल पब्लिक के लिए हर दिन खुलेगा, हालांकि कुछ खास दिनों में एंट्री टाइमिंग पर रोक हो सकती है। नवंबर से मार्च तक सुबह 9 बजे से शाम साढ़े छह बजे तक खुलेगा। अप्रैल से अक्टूबर तक सुबह 9 बजे से शाम साढ़े सात बजे तक खुलेगा।

खास दिनों में फूल चढ़ाने के समारोह का आयोजन होगा। हर रोज सूर्यास्त से ठीक पहले रिट्रीट सेरिमनी होगी। रविवार को सुबह 9.50 बजे चेंज ऑफ गार्ड सेरिमनी होगी जो करीब आधे घंटे चलेगी। यहां एंट्री फ्री रहेगी। मेमोरियल के इनर सर्कल में लोगों की भीड़ पर कुछ नियंत्रण रहेगा। एक वक्त में 200-250 लोगों को ही अंदर जाने दिया जाएगा।

सोमवार को मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया गया, जिसमें शहीदों के नाम से सर्च किया जा सकेगा कि उनके नाम मेमोरियल में कहां पर दर्ज हैं। स्मारक काफी बड़े क्षेत्र में बना है इससे शहीदों का नाम खोजने में दिक्कत होगी। लेकिन ऐप की मदद से आसानी से पता चल जाएगा कि किस शहीद का नाम कहां पर है।

शहीदों की डिटेल मौजूद जानकारी के हिसाब से दी गई है लेकिन रिकॉर्ड को ज्यादा दुरुस्त करने के लिए लोगों से सुझाव भी लिए जाएंगे। हेल्प डेस्क में सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक कॉल कर सकते हैं। हेल्प डेस्क नंबर- 011-23388553 है।

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