केंद्र और त्रिवेंद्र सरकार पर भाजपा कार्यकर्ता ने मिली भगत का आरोप लगाया

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देहरादून। आशीष बडोला। प्रदेश में कुल 6 आंगनबाड़ी प्रशिक्षण केंद्र हैं, जिनमें से किसी को भी पिछले एक साल से बजट नहीं मिला है। प्रशिक्षण केंद्र की प्रधानाचार्यों का कहना है कि पिछले कई सालों से हम इन केंद्रों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मगर राज्य सरकार अब इस काम से अपने करीबियों को फायदा पहंुचाना चाहती है। उन्हांेने कहा कि केंद्र सरकार का सहयोग मिलने के बावजूद भी इस ओर कोई सकारात्मक कार्यवाही होती नहीं दिख रही है। जिससें साफ होता है कि राज्य सरकार की मनमानी में केंद्र सरकार का पूरा सहयोग है।

भाजपा कार्यकर्ता अपनी सरकार के खिलाफ आग बबूला हो पड़ी

हरिद्वार स्थित कन्या गुरूकुल आंगनबाड़ी प्रशिक्षण केंद्र की प्रधानाचार्य अनिता शर्मा ने अपनी पीड़ा उत्तराखण्ड रिपोर्ट से संाझा की। जब उनसे पूछा गया कि आप किस पार्टी को समर्थन करती है, तो वो आग बबूला हो गई, उन्होंने बताया कि पछले एक साल से काम पूरी तरह से ठप है। हम लोग केंद्र के साथ ही मुख्यमंत्री से भी इस बारे में बात कर चुके हैं, हमें सिर्फ कोरे आश्वासन दिए जा रहे है, कहा कि जब भाजपा कार्यकर्ता के साथ ऐसा हो सकता है,

तो आम जनता कैसे कुछ उम्मीद कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस बारे में केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और राज्य मंत्री बाल विकास सरिता आर्य से भी बात हुई, मगर अभी तक कोई समाधान नहीं मिल सका है। कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी समस्या से अवगत कराया जा चुका है। मगर उनके निजी सचिव संबंधित फाइल को आगे नहीं बढ़ा रहे हैं। राज्य सरकार अपने लोगों को इस योजना का लाभ देना चाहती है। जिसके चलते पिछले एक साल हम लोगों को कोई पैसा नहीं दिया गया है। केंद्र हमें सहयोग का पूरा आश्वासन तो देता है, मगर राज्य सरकार टाल मटोल कर देती है। इससे साफ होता है, केंद्र और राज्य सरकार की मिलीभगत है। वो नहीं चाहते कि हम लोगों को इस योजना का लाभ मिलें।

बजट न मिलने से हो रही दिक्कत
अनिता शर्मा ने बताया कि वो आंगनबाड़ी प्रशिक्षण केंद्र में पिछले 16 सालों से सेवाएं दे रही हैं। बजट न मिलने की वजह से 70 महिलाओं का परिवार प्रभावित हो रहा है। कुछ के पति भी नहीं है, तो कुछ के पति का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। ऐसे में उन महिलाओं की पारिवारिक जिंदगी प्रभावित हो रही है। साथ ही उनके बच्चों की स्कूली शिक्षा पर आर्थिक हालातों का बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामलें में गहनता से विचार करना होगा। आंगनबाड़ी संभालने वालों में आशा मेहता, अर्चना गर्ग, श्याम नारायण दूबें, रिंपल आदि लोगों के पारिवारिक हालत बुरी तरह से बिगड़ चुके हैं।

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